रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... नायकराम-ईसाइन है न! किसी अंगरेज को गाँठेगी। विनय-तुम बिलकुल बेहूदे हो, बात करने की तमीज नहीं। मैं कहता हूँ, वह अब उम्र-भर ब्रह्मचारिणी रहेगी। तुम उसे क्या जानो, बात समझो ...

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